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प्राणायाम एक प्राचीन भारतीय योग प्रणाली है जो श्वास की नियंत्रण और श्वासायाम की अभ्यास के माध्यम से शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारने का उद्दीपन करती है। यह एक प्रकार की प्रणाली है जिसमें श्वास और प्राण (ऊर्जा) को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न तकनीकों का अभ्यास किया जाता है।

प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य श्वास और प्राण को संतुलित रूप से नियंत्रित करके मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य, और आत्मा के विकास को प्रोत्साहित करना है। यह एक साधना है जो शरीर, मन, और आत्मा को एक संतुलित और हारमोनियस स्थिति में ले जाने का प्रयास करती है।

प्राणायाम की कुछ प्रमुख तकनीकें श्वास को नियंत्रित करने के लिए हैं, जैसे कि दीर्घ प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उज्जायी, आदि। ये तकनीकें सामान्यत: योग सत्रों या व्यक्तिगत साधना के भाग के रूप में सिखाई जाती हैं और व्यायाम, मेधावी और ध्यान की अन्य योग प्रणालियों के साथ मिलकर सबसे अधिक लाभकारी माने जाते हैं।

प्राण का आयाम करना प्राणायाम कहलाता है सरल शब्दों में प्राणो(स्वास) का निरोध करना ही प्राणायाम करना कहलाता है ,
जब असानो का सही दृढ़ता(अभ्यास) हो जाने पर ही प्राणायाम की शुरुआत करे, कई विद्वानों ने मन और और प्राण को एक ही माना हैहर आती-जाती सांस के के साथ मन भी चंचल हो जाता है।

और सांस के स्थिर हो जाने पर मन भी स्थिर हो जाता है और जब सांस और मन दोनों स्थिर हो तब स्थाणुत्व की प्राप्ति होती है और इस नश्वर जीवन को भी अमरत्व प्राप्त हो जाता है और उसी शरीर में ब्रम्ह की प्राप्ति हो जाती है। इसलिए प्राणो का निरोध करना ही चाहिए ।

हिंदी में प्राणायाम के लाभ Pranayama in Hindi

प्राणायाम के लाभ: शरीर, मन, और आत्मा के लिए उपयोगी

प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से कई शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ हो सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख प्राणायाम के लाभ हैं:

शारीरिक लाभ:

  • श्वास की नियंत्रण: प्राणायाम द्वारा श्वास की सही तकनीकें सीखने से श्वास तंतु को सुधारा जा सकता है, जिससे श्वास संबंधित समस्याएं जैसे कि अस्थमा और श्वास की कठिनाई में राहत मिल सकती है।
  • रक्तचाप का नियंत्रण: प्राणायाम से रक्तचाप को संतुलित रखने में मदद की जा सकती है और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकती है।
  • ऊर्जा स्तर में सुधार: प्राणायाम द्वारा शरीर में ऊर्जा की संचार को बढ़ावा मिल सकता है और सामान्य स्थितियों में अधिक ऊर्जावान होने में मदद कर सकती है।

मानसिक लाभ:

  • स्थिति में सुधार: प्राणायाम में ध्यान और नियंत्रित श्वास के माध्यम से मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है और स्थिति में स्थिरता का अनुभव हो सकता है।
  • तनाव कम करना: ध्यानपूर्वक श्वास लेने से तनाव कम हो सकता है और मानसिक चिंताओं का सामना करने में मदद कर सकता है।
  • नींद की सुधार: नियमित प्राणायाम के लिए अभ्यास करने से नींद में सुधार हो सकता है और अच्छी नींद प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

आध्यात्मिक लाभ:

  • चित्त शुद्धि: प्राणायाम के माध्यम से चित्त को शुद्ध करने और ध्यान को बढ़ाने का प्रयास किया जा सकता है।
  • आत्मा का संबंध: प्राणायाम आत्मा के साथ संबंध बढ़ाने में मदद कर सकता है और आत्मा का अनुभव करने में मदद कर सकता है।

अन्य लाभ

  • भस्त्रिका प्राणायाम से सर्दी झुकाम, एलर्जी, दमा, साइनस, नजला, श्वास रोग, कफ आदि दूर होता है,थायराइड और टांसिल जैसे गले के रोग दूर होते है, फेफड़े मजबूत होते है, दिमाग में शुद्ध वायु जाने से मस्तिष्क रोग दूर होते है, त्रिदोष सामान होते है, खून साफ होता है, विषाक्त तत्व शरीर से बहार होते है, कुण्डलिनी जागरण में भी भस्त्रिका प्राणायाम बहुत सहायक है।.
  • कपालभाति प्राणायाम से दिल, फेफड़े, और दिमाग के ज्यादातर रोग दूर होते है, कफ ,साइनस, दमा, एलर्जी, श्वास रोग दूर होते है, चेहरे और दिमाग का तेज, ओज, आभा, और सुंदरता बढ़ती है, मोटापा मधुमेह, गैस, कब्ज, किडनी और पेट से सम्बंधित रोग दूर होते है, दिल की नाड़ियो में आये ब्लॉकेज को भी इस प्राणायाम से साफ़ किया जा सकता है, कुण्डलिनी चक्रो में शक्तियों का संचार होने लगता है, पाचन क्रिया सही होती है, कमजोर ऑटो को मजबूत बनाने के लिए ये प्राणायाम सर्वोच्चतम है।
  • बाह्य प्राणायाम से मन की चंचलता दूर होती है, जठराग्नि तेज होती है, उदर रोगो में लाभ मिलता है, गुप्त रोग जैसे स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, शुक्राणुओं की कमी आदि धातु रोगो में लाभ मिलता है, यह हानि रहित प्राणायाम पेट के सभी रोगो को दूर करने में सहायता करता है।
  • अनुलोम-विलोम प्राणायाम से बहत्तर हजार नाड़ियाँ शुद्ध हो जाती है, और ये सभी नाड़ियों की शुद्धता से पूर्ण शरीर स्वस्थ और कांतिमय बन जाता है, मूत्ररोग, धातुरोग, शुक्ररोग, त्रिदोष, सर्दी, जुकाम, नज़ला,अस्थमा, खांसी कफरोग दूर होता है, दिल की बीमारियों में बहुत लाभ होता है, ब्लॉकेज खुल जाते है, केलोस्ट्रोल की अनियमितता दूर होती है, इस प्राणायाम को 250 से 500 बार तक नियमित करने से मूलाधार-चक्र के जागरण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
  • भ्रामरी प्राणायाम से मन की चंचलता दूर होती है, स्मरण शक्ति बढ़ती है, तनाव, उत्तेजना, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी आदि में यह प्राणायाम लाभदायक है। ध्यान के लिए अतिमहत्वपूर्ण प्राणायाम है।
  • नाड़ीशोधन प्राणायाम के सभी लाभ अनुलोम-विलोम के लाभ के सामान होते है।
  • सूर्यांग प्राणायाम से खून और त्वचा के रोग ठीक होते है, उदर-कृमि, कोढ़, अर्जीण, अपच, स्त्रीरोग, में लाभ होता है। कुण्डलिनी जागरण में सहायक है।
  • चन्द्रांग प्राणायाम से शरीर में ठंडक आती है जिस से थकावट और शरीर की गर्मी दूर होती है, पित्त के होने वाली जलन से रहत मिलती है।
  • उज्जायी प्राणायाम से तुतलाना ठीक होता है, अनिद्रा, प्लीहा, थायरोड ग्लैंड, ब्लड प्रेसर, टांसिल, साल भर होने वाली सर्दी, बुखार, अजीर्ण रोगो में लाभदायक है, गले सम्बंधित रोग और आवाज मधुर करने के लिए ये प्राणायाम बहुत उपयोगी है।
  • कर्णरोगान्तक प्राणायाम से कान से सम्बंधित रोग ठीक होते है और बहरापन में लाभदायक होता है।
  • शीतली प्राणायाम से खून साफ़ होता है, हाई ब्लड प्रेसर में लाभ होता है, जीभ, मुँह, गले के रोग ठीक होते है, योगग्रंथो के अनुसार ये भूक-प्यास पर विजय प्राप्त इस प्राणायाम से की जा सकती है।
  • सीत्कारी प्राणायाम के लाभ शीतली प्यनयं के अनुसार ही है, ज्यादा नींद आने वाले व्यक्ति को ये प्राणायाम करना चाहिए।
  • मूर्छा प्राणायाम से हर प्रकार के सर दर्द से आराम मिलता है, स्नायु दुर्बलता, नर्वस डिसऑर्डर(nervous disorder) के विकार दूर करने में लाभदायक है, कुण्डलिनी जागरण में सहायक है, दिमाग तेज होता है, स्मरण शक्ति बढ़ती है, ध्यान के लिए उपयोगी है।
  • प्लाविनी प्राणायाम में हिस्टीरिया रोग और उदर के सभी रोगो को दूर करने में सहायक है, दूषित वायु दूर होती है, जठराग्नि तेज होती है। कृमि रोग दूर होता है।
  • केवली प्राणायाम से एकाग्रता शीघ्र प्राप्त होती है और ध्यान में सहायता होती है।

यह सभी लाभ प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से हो सकते हैं, लेकिन इसे सीधे मेडिकल या गुरु सलाह के बिना शुरू करना उचित नहीं है।

प्राणायाम के प्रकार

वैसे तो प्राणायाम के कई प्रकार होते है पर हम यहाँ कुछ प्रमुख प्राणायाम के प्रकार की बात करेंगे।

  • भस्त्रिका प्राणायाम | Bhastrika Pranayama
  • कपालभाति प्राणायाम | Kapalbhati Pranayama
  • बाह्य प्राणायाम | Bahya Pranayama
  • अनुलोम-विलोम प्राणायाम | Anulom-Vilom Pranayama
  • भ्रामरी प्राणायाम | Bhramari Pranayama in Hindi
  • नाड़ी शोधन प्राणायाम | Nadi shodhan Pranayama
  • सूर्यांग या सूर्यभेदी प्राणायाम | Suryang OR Suryabhedi Pranayama
  • चन्द्रांग या चन्द्रभेदी प्राणायाम | Chandrang OR Chandrabhedi Pranayama
  • उज्जायी प्राणायाम | Ujjayi Pranayama In Hindi
  • कर्णरोगान्तक प्राणायाम | Karnarogantak Pranayama
  • शीतली प्राणायाम | Shitali Pranayama
  • शीतकारी प्राणायाम | Shitkari Pranayama
  • मूर्छा प्राणायाम | Moorccha OR Murchha Pranayama
  • प्लाविनी प्राणायाम | Plawini Pranayama
  • केवली प्राणायाम | Kewali Pranayama

सरल प्राणायाम तकनीकें: रोज़ाना की भागदौड़ से प्राकृतिक चिकित्सा

यहां कुछ सरल प्राणायाम तकनीकें हैं जो आप अपने दिन के भाग में शामिल कर सकते हैं:

दीर्घ प्राणायाम (Deep Breathing):

  • एक सुखासन में सीधे बैठें और स्पाइन को सीधा रखें।
  • नाक से गहरी सांस लें, अपने पेट को बुलन्द बनाएं।
  • सांस रोकें और धीरे से मुँह से श्वास छोड़ें।
  • सांस निर्वात होने तक गिनती रखें।
  • धीरे से पूर्वस्थिति में लौटें।
  • इसे कुछ मिनटों तक बार-बार दोहराएं।

अनुलोम-विलोम (Alternate Nostril Breathing):

  • सुखासन में बैठें और दोनों हाथों को कंधे पर रखें।
  • अपने नाक के बारे में बारीकी से सांस लें।
  • अपने अंगूठे को नाक के ऊपर रखें ताकि दाएं नाक बंद हो।
  • बाएं नाक से सांस छोड़ें, फिर दाएं नाक को खोलें और बाएं नाक से श्वास छोड़ें।
  • इसे दोहराएं, हर बार विभिन्न नाक से शुरू करें।

भ्रामरी (Bhramari):

  • सुखासन में बैठें और आंखें बंद करें।
  • अपने कानों को अपने अंगूठों से ढकें।
  • सांस को धीरे से लोभें और अपने मुँह को मुड़ लें।
  • धीरे से हम भृंगा नाद (भूजंग की तरह) बनाएं जो भ्रामरी कहलाता है।
  • इसे कुछ समय तक बार-बार दोहराएं।

उज्जायी (Ocean Breathing):

  • सुखासन में बैठें और संरेचित सांस लें।
  • जीवनुल्लोम स्थिति में गला बंद करें ताकि सांस नाक से हो।
  • सांस को नाक के माध्यम से लोभें, जिससे कि गला एकदम सीधा बना रहे।
  • अपनी सांस के साथ एक ध्वनि बनाएं, जो समुद्र की लहरों की तरह सुनती है।
  • सांस को धीरे से छोड़ें, गला बंद करें, और फिर सांस को नाक के माध्यम से बाहर निकालें।
  • इसे कुछ मिनटों तक दोहराएं।

यह सरल प्राणायाम तकनीकें आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकती हैं। ध्यान रखें कि प्राणायाम को सीखने के लिए सबसे अच्छा तरीका एक योग गुरु के साथ होता है, जो आपको सही तकनीकें और सही संरचना के साथ मार्गदर्शन कर सकता है।

प्राणायाम का साइंटिफिक अध्ययन: मॉडर्न जीवन में क्यों आवश्यक

प्राणायाम के साइंटिफिक अध्ययन का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है, और कई शोध शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों को मापने और समझने का प्रयास कर रहे हैं। यहां कुछ प्रमुख प्राणायाम के साइंटिफिक अध्ययन के क्षेत्रों की एक सारांश दिया गया है:

  1. श्वास की गहराई और श्वासायाम:
  • एक अध्ययन में, गहरी और धीरी श्वासायाम के प्रभाव को मापते हुए योगीयों में श्वास की गहराई में वृद्धि और सिरा का विस्तार मिला।
  1. रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य:
  • कई अध्ययनों में प्राणायाम के असर को रक्तचाप की नियंत्रण में मदद करने और हृदय स्वास्थ्य को सुधारने के लिए जांचा गया है।
  1. स्ट्रेस और मानसिक स्वास्थ्य:
  • विभिन्न अध्ययनों में, प्राणायाम के असर को मानसिक स्वास्थ्य के परिपर्णता में कमी करने और स्ट्रेस को कम करने में मदद करने के लिए देखा गया है।
  1. न्यूरोसाइंस और मानसिक तंतु सिस्टम:
  • कुछ शोधों में यह दिखाया गया है कि प्राणायाम का अभ्यास मानसिक तंतु सिस्टम को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
  1. श्वास और ऊर्जा:
  • कुछ अध्ययनों में, प्राणायाम के माध्यम से श्वास की बेहतर नियंत्रण से ऊर्जा स्तर में सुधार हो सकता है और थकान में कमी हो सकती है।
  1. ध्यान और ब्रेन फ़ंक्शन:
  • कुछ शोधों में दिखाया गया है कि प्राणायाम और ध्यान का संयोजन ब्रेन फ़ंक्शन को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे ध्यान की अवस्था में सुधार हो सकता है।

ये अध्ययन सुझाव देते हैं कि प्राणायाम का नियमित अभ्यास शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है, लेकिन व्यक्तिगत अनुभव और प्रैक्टिस के आधार पर ही किसी भी योग प्रणायाम का लाभ होता है। ध्यान देने वाला हमेशा यह है कि किसी भी योगिक प्रणायाम अभ्यास को शुरू करने से पहले एक चिकित्सक या योग गुरु से परामर्श लेना उचित है।

प्राणायाम के नियम

प्राणायाम को साफ़, सात्विक जगह पर करना चाहिए, प्राणायाम में सिद्धासन, पद्मासन, बज्रासन में बैठना सही है। बिछाने के लिए जो आसान होता है वह विधुत का कुचालक होना चाहिए।
प्राणायाम खाली पेट या खाने के ४-5 घंटे बाद करना चाहिए, सुबह किया गया प्राणायाम ज्यादा लाभकारी होता है।

प्राणायाम को जबरजस्ती नहीं करना चाहिए, गर्भवती महिला और भूक से पीड़ित व्यक्ति को प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
शुरू में प्राणायाम 5 से 10 मिनट तक नियत संख्या में और फिर बढ़ाते हुए एक घंटे तक कर सकते है,
प्राणायाम को हमेशा मौसम के अनुकूल ही करना चाहिए, कुछ प्राणायाम शरीर की गर्मी बढ़ाते है और कुछ ठंडक।
प्राणायाम करते समय शरीर को सहज अवस्था में रखना चाहिए , शरीर के किसी भी अंग को तनाव में नहीं होना चाहिए।
प्राणायाम का अभ्यास देख कर या पढ़ कर नहीं करना चाहिए , पहले किसी योग्य गुरु से योग प्राणायाम की शिक्षा ले उसके बाद उनकी देखरेख में अभ्यास करे 

हिंदी में प्राणायाम के लाभ
Pranayama in Hindi
प्राणायाम

प्राणायाम का सही क्रम

ऊपर लिखे प्राणायाम के प्रकार के अनुसार ही प्राणायाम के सही क्रम है, पर जैसा की मैं पहले ही स्पष्ट कर चूका हु की प्राणायाम मौसम के अनुकूल ही करना चाहिए। क्योंकि कुछ प्राणायम (सूर्यभेदी) शरीर में गर्मी बढ़ाते है तो कुछ ठण्ड(चन्द्रभेदी)।
योगासन के पहले प्राणायाम करना उचित होता है। पर योगासन का सही अभ्यास होने के बाद ही प्राणायाम का अभ्यास करे

YOGA in Hindi | योग क्या है आसान शब्दों मे

1. प्राणायाम क्या है?

प्राणायाम एक प्राचीन योग प्रक्रिया है जो श्वास को नियंत्रित करने और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है। इसमें विभिन्न श्वासधाराओं का अध्ययन और नियंत्रण शामिल है।

2. कौन-कौन से प्रकार के प्राणायाम हैं?

प्राणायाम के कई प्रकार हैं जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, कपालभाति, उज्जायी, आदि। ये विभिन्न उपयोगों के लिए होते हैं और विभिन्न लाभ प्रदान करते हैं।

3. प्राणायाम कैसे करें?

प्राणायाम को सही तरीके से करने के लिए सबसे पहले सही आसन चुनें और ध्यान लगाएं। अपने श्वास को ध्यानपूर्वक नियंत्रित करें और धीरे-धीरे अपनी प्राणशक्ति को बढ़ाएं।

3. प्राणायाम का क्या उद्देश्य है?

प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य श्वास की नियंत्रण से मानसिक शांति, ताजगी, और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखना है। यह अच्छी सेहत और आत्मा के संतुलन को प्रोत्साहित करता है।

5. प्राणायाम के क्या लाभ हैं?

प्राणायाम करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होती है। यह स्ट्रेस को कम करने, श्वास की गहराई को बढ़ाने, और मेंटल क्लियरिटी को बढ़ाने में मदद करता है।

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