इस लेख में हमने “शवासन योग” के महत्व, इतिहास, विधि, लाभ, स्वास्थ्य से संबंध, और आध्यात्मिक पहलुओं पर चर्चा की है। यह योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि आत्मा के साथ मिलकर आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है। इसका नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति तनावमुक्त रह सकता है, स्वस्थ जीवनशैली अपना सकता है और आत्मा के साथ संबंध को स्थापित कर सकता है। यदि आप एक सकारात्मक और स्वस्थ जीवनशैली की तलाश में हैं, तो शवासन योग को अपने जीवन में शामिल करने का विचार कर सकते हैं।
शवासन योग का महत्व
शवासन योग, जिसे ‘सवासन’ भी कहा जाता है, एक आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण योगासन है। यह आसन ध्यान और शांति का संचार करता है और शरीर, मन, और आत्मा को एक साथ मिलाकर हमें पूर्णता की अनुभूति करने में सहायक होता है।
शवासन का मुख्य लक्ष्य हमें शांति और स्थिरता की अनुभूति करने में मदद करना है। इसके माध्यम से हम अपने आत्मा के साथ संवाद करते हैं और अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं। यह हमें अपने आत्मा के साथ मिलने का अनुभव करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
शवासन योग के प्रशिक्षकों का कहना है कि यह योगासन स्थिरता का माध्यम है, जो हमें आत्मा के साथ एक संबंध स्थापित करने में सहायक है। इसे नियमित रूप से करने से तनाव, चिंता, और थकाना कम होता है और मानसिक स्थिति में सुधार होता है।
शवासन योग का इतिहास । Shavasana
शवासन योग का इतिहास बहुत यात्राओं और ऋषियों से जुड़ा हुआ है। इस योगासन का आरंभ प्राचीन समय में भारतीय साहित्य में मिलता है, जब योग और ध्यान को जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता था। शवासन को एक प्राणायाम तकनीक के रूप में उपयोग किया जाता है, जिससे शरीर को शांति मिलती है और मानसिक स्थिति में सुधार होता है।
इसके अलावा, योग शिक्षकों ने शवासन को स्वास्थ्य और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण योगासन माना है। यह आसन हमें सही तरीके से सांस लेने और छोड़ने की अनुभूति कराता है, जिससे हमारे शरीर के अंगों में ऊर्जा का संचार होता है और हम ताजगी और सकारात्मकता के साथ अपने दिन को आरंभ कर सकते हैं।
शवासन योग का इतिहास एक गहरे ध्यान और आत्मा के साथ संबंध की ऊंची मानक है, जिससे हम अपने जीवन को सकारात्मकता और संतुलन के साथ जी सकते हैं।
शवासन कैसे करे । Shavasana Kaise Kare
शवासन योग एक सरल योगासन है जो शरीर, मन, और आत्मा को एक साथ मिलाने में मदद करता है। इस आसन को सही तरीके से करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
लेट जाये ।
अब आप शवासन Savasana में लेट जाएं हुए और हथेली आसमान की ओर, आंखें बंद शरीर ढीला ध्यान श्वास क्रिया की ओर, जहां कहीं भी तनाव अनुभव कर रहे हो तो थोड़ा सा हिला कर शिथिल करें |आपका श्वास स्वाभाविक हो श्वास लेने तथा छोड़ने में कोई प्रयास नहीं करना हैं।
श्वास पर ध्यान दे।
जब श्वास अंदर ले तो सोचे की शुद्ध वायु फेफड़ों में जाकर आपको निरोगता दे रही हैं शरीर में शिथिलता ला रही हैं, बाहर निकाले तो सोचे कि गंदी वायु द्वारा आपके शरीर से विकार तथा बीमारियां बाहर निकल रहे हैं और आप स्वस्थ हो रहे हैं श्वास जितना अधिक सूक्ष्म होगा इतना अधिक आप शिथिल होंगे।
श्वास की आवाज भी नहीं आनी चाहिए। दिनभर काम करने के लिए आवश्यक शक्ति शरीर तथा मन को शिथिल करने से मिलती है। हर रात छह-आठ घंटे सोने से दूसरे दिन काम करने की शक्ति प्राप्त करते हैं। जब तक हम सोते हैं, हमारे अंदर का शरीर अपनी टूट-फूट की मरम्मत कर लेता है, ना बन जाते हैं और पुराने शरीर से बाहर हो जाते हैं। इस प्रकार प्रतिदिन हम नई शक्ति प्राप्त करते हैं।
अंगूठे से लेकर कमर तक शिथिल करे
कुछ समय इसी प्रकार शांति व शिथिलता से लेटे रहने के बाद अपने ध्यान को बाएं पांव के अंगूठे पर ले जाएं उसे हिलाएं और शिथिल करें। दूसरी और उंगलियों को हिलाकर ढीला छोड़ें। पांव का तलवा रखना, एड़ी, पिंडली, घुटना, जांघ और कमर-सबको हिलाकर शिथिल करें। अपनी बाई टांग को पूरी तरह शिथिल छोड़ दें। उसमें रक्त का संचार हो रहा है और वह स्वस्थ हो रही है। कुछ देर शांत पड़े रहकर अपनी बाईं टांग को देखें। उसके बाद अपने ध्यान को दाईं टांग पर ले जाएं और उसे भी पांव के अंगूठे से लेकर कमर तक शिथिल करें। फिर उसे भी शिथिल होने दें। इस प्रकार आपकी दोनों टांगे शिथिल हो जाएंगी।
हाथो और बाकी अंगो को शिथिल करे।
अब बाएं हाथ के अंगूठे पर ध्यान ले जाएं। उसे हिलाकर शिथिल करें। दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवी, पांचों उंगलियों और हथेली को हिलाकर ढीला छोड़ें, कलाई को हिलाएं, भुजवली, कुहनी, बाजू और कंधे को हिलाकर शिथिल करें। इसी प्रकार अपने दूसरे बाजू को भी शिथिल व शांत करें। अब आपकी दोनों टांगें तथा दोनों बाजू शिथिल व शांत हो गए हैं। उनमें रक्त का संचार हो रहा है और उनका विकार हृदय तथा फेफड़ों में आकर शुद्ध हो रहा है। कुछ देर बाजुओं तथा टांगों को निहारें।
पैट के अंदर के अंगो को शिथिल करे ।
अब अपने ध्यान को पेट पर ले आएं। अपने आमाशय, लिवर, क्लोम ग्रंथि, तिल्ली, पक्वाशय, छोटी आंतों, बड़ी आंतों तथा पूरे पाचन संस्थान को शिथिल व शांत रहने का आदेश दें। कुछ देर उसे देखें।
फेफड़ों को शिथिल करे और गेहरी लम्बी सांस ले ।
आपके हृदय को 24 घंटे काम करना पड़ता है। पूरे शरीर का रक्त संचालन करना, विकारयुक्त रक्त को वापस लेना और उसे शुद्ध करने के लिए फेफड़ों में भेजना, शुद्ध रक्त को वापस हृदय में लेना और फिर पूरे शरीर में रक्त को पंप करना। 15 सेकंड का यह चक्र 24 घंटे चलता रहता है। अपने ध्यान को ले जाए छाती पर, हृदय को शिथिल व शांत होने का आदेश दें। अतः अब अपने फेफड़ों को शिथिल करें। दो-तीन लंबे व गहरे श्वास लें, ताकि शुद्ध वायु फेफड़ों को मिले। रक्त नलिकाओं, धमनियों और शिराओं को भी शिथिल व शांत करें। इस अवस्था में कुछ देर बंद आंखों से देखें।
अब आप अपना ध्यान अपने गुर्दों, जो नाभि के पीछे रीढ़ के दोनों तरफ हैं. की ओर ले जाएं तथा अपने मूत्र-संस्थान को तथा अपनी त्वचा, जो रक्त को शुद्ध करने का तीसरा अंग है, को शिथिल करें। त्वचा की ग्रंथियों रक्त को वहीं शुद्ध कर, विकार को पसीने के रास्ते बाहर करती हैं। सर्दियों में पसीना नहीं आता। तब भी विकार त्वचा से बाहर आता रहता है, जिससे अंदर के कपड़े गंदे तथा बदबूदार हो जाते हैं।
बचे हुये सभी अंगो को शिथिल करे।
अब अपने गले पर ध्यान ले जाएं तथा थॉयराइड पैराथॉयराइड ग्रंथियों व टॉन्सिल को शिथिल करें। अपनी ठोड़ी, दांत, जिह्वा, चेहरा, आंख, नाक, कान-सबको शिथिल करें और ऐसा मानें कि आपको सभी ज्ञानेंद्रियां सक्रिय हो गई हैं। पूरा शरीर शांत, शिथिल व स्वस्थ हो रहा है।
अब अपने ध्यान को मेरुदंड तथा सुषुम्ना नाड़ी पर ले जाएं और उन्हें शिथिल करें। फिर अपने मस्तिष्क, स्नायुमंडल, नाड़ी-सूत्रों तथा तंतुओं पर ध्यान ले जाएं और उन्हें ढीला छोड़ें। और मानें कि पूरा नाड़ी संस्थान शिथिल हो गया है, मस्तिष्क शांत हो गया है और पूरे शरीर के कार्य का नियंत्रण सुचारु रूप से कर रहा है। शरीर के सारे अंग सक्रिय हैं और अपना काम कर रहे हैं। शरीर के विकार बाहर निकल रहे हैं, शरीर शुद्ध, शांत व निरोग हो रहा है।
सकारात्मक सोच के साथ योग निद्रा मे चले जाये ।
अब वह पूरी तरह शांत, शिथिल और स्वस्थ हो गया है। ऐसा सोचते-सोचते कुछ देर तक पड़े रहें। ऐसा अभ्यास कुछ दिन करने से शरीर सध जाएगा। आप शवासन में लेटे, शिथिल हुए और योग-निद्रा में चले जाएंगे। जो रोग जहां है, उसका ध्यान करें और सोचें कि रोग शरीर से जा रहा है आप स्वस्थ हो रहे हैं।
समाप्ति: योगासन को समाप्त करने के लिए धीरे-धीरे आंखें खोलें और ध्यान से उठें। शांति और सुख के साथ आप आपके दिन को जारी रख सकते हैं।
इस रूप में, शवासन योग को सही तरीके से करने से शरीर, मन, और आत्मा में संतुलन बना रहता है और व्यक्ति को एक शांत और सुखी जीवन की ओर मार्गदर्शन करता है।
शवासन योग के लाभ । Shavasana Benefits In Hindi
शारीरिक लाभ
- मांसपेशियों को शांति:
शवासन योग का अभ्यास करने से शरीर की मांसपेशियाँ धीरे-धीरे शांत होती हैं। यह योगासन आपको शारीरिक थकान से राहत देता है और मांसपेशियों को आराम से आसीन करने का अवसर प्रदान करता है। - तंतुरंग सिस्टम को सुधार:
शवासन योग व्यक्ति के तंतुरंग सिस्टम(फेफड़ों) को सुधारने में मदद करता है। यह योगासन श्वास को नियंत्रित करने में सहायक होता है और श्वासलेने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे सांस लेना और छोड़ना सहज होता है।
मानसिक लाभ
- तनाव मुक्ति:
शवासन योग का अभ्यास करना तनाव को कम करने में सहायक हो सकता है। इस योगासन में शरीर को सुखासन में धीरे-धीरे लेटा जाता है, जिससे मानसिक और शारीरिक तनाव कम होता है और व्यक्ति को एक शांति भरी अनुभूति होती है। - मानसिक शांति:
शवासन योग में ध्यान और आत्मा से मिलने का मौका होता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। यह योगासन मन को स्थिर करने में मदद करता है और चिंता, उत्साह, और ध्यान की स्थिति में सुधार कर सकता है। - अन्य लाभ:
- शवासन स्त्री रोग मे बहुत लाभकारी होता है । प्रसव मे होने वाले दर्द को कम करता है।
- हाई ब्लड प्रेसर ओर लो ब्लड प्रेशर के रोगीयो के लिये शवासन रामबाण है।
- डयबिटीज़ के रोग मे भी बहुत लाभकारी है।
- कमर दर्द, घुटनो का दर्द, गर्दन का दर्द, जोडो का दर्द, ओर पुराने से पुराने दर्द मे शवासन लाभ देता है।
- शवासन से साईटिका रोग मे बहुत फायदा मिलता है।
- मस्तिष्क समस्त रोग मे ये बहुत फायदेमंद है, इसके नियमित अभ्यास से बुद्धि प्रखर हो जाती है
शवासन योग के उपयोग से व्यक्ति अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकता है और एक सकारात्मक जीवन की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
शवासन योग और स्वास्थ्य
शवासन का रोग-निरोधक प्रभाव
शवासन योग एक ऐसा आसन है जो रोगों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसका नियमित अभ्यास करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य का संरक्षण:
शवासन योग के अभ्यास से शरीर का संरक्षण होता है। यह योगासन स्थिरता और छोड़ने की प्रक्रिया के माध्यम से शारीरिक तनाव को कम करता है, जिससे सामान्य रोगों का संरक्षण होता है। - स्वस्थ फेफड़ों के विकास के लिये जरूरी:
शवासन योग से श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को सही ढंग से करना सीखा जा सकता है, जिससे तंतुरंग सिस्टम(फेफड़ों) को समर्थन मिलता है और सही तरीके से ऑक्सीजन पहुंचता है, जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
योग और स्वस्थ जीवनशैली
योग और स्वस्थ जीवनशैली का गहरा संबंध है। शवासन योग का अंगभूत होकर योग आपको एक स्वस्थ और सकारात्मक जीवनशैली की दिशा में मदद कर सकता है।
- स्वस्थ मानसिकता:
योगासन जैसे शवासन का अभ्यास करना मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। इससे तनाव, चिंता और उत्साह में सुधार होता है और व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है। - सही आहार और नियमित व्यायाम:
शवासन योग का अभ्यास करते समय, व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखता है। इसके साथ ही योग करने के परिणामस्वरूप, अधिकांश लोग अपनी आहार और व्यायाम की भी सही दिशा में बदलते हैं। - नींद की गुणवत्ता:
शवासन योग का अभ्यास करने से शरीर को अच्छी नींद मिलती है और सारे दिन की थकान को कम करने में मदद करता है। यह स्वस्थ जीवनशैली के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अच्छी नींद से सारे शरीर की प्रणालियाँ सही रूप से काम करती हैं।
इस रूप में, शवासन योग न केवल रोग-निरोधक प्रभाव दिखाता है, बल्कि एक स्वस्थ और सकारात्मक जीवनशैली की दिशा में एक अद्वितीय साधन भी है।
शवासन योग का आध्यात्मिक संबंध
योग और आत्मा का मेल
शवासन योग आध्यात्मिक साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो व्यक्ति को अपने आत्मा के साथ मिला देता है।
- आत्मा के साथ संबंध:
शवासन योग का अभ्यास करने से व्यक्ति अपने आत्मा के साथ एक संबंध स्थापित कर सकता है। योग के माध्यम से, ध्यान और आत्मा से मिलने का अवसर प्राप्त होता है, जो एक आध्यात्मिक अनुभव का नेतृत्व करता है। - आत्मा की शांति:
शवासन योग में, व्यक्ति अपनी आत्मा को शांति और स्थिरता की अनुभूति करता है। यह योगासन मानसिक चंचलता को कम करता है और व्यक्ति को अपनी आत्मा में शांति की प्राप्ति में मदद करता है।
शांति और सत्य की खोज
- शांति का अनुभव:
शवासन योग में, शरीर को धीरे-धीरे छोड़ने के माध्यम से व्यक्ति शांति का अनुभव करता है। यह योगासन मानसिक अस्थिरता को दूर करता है और व्यक्ति को एक आत्मिक स्थिति में ले जाता है। - सत्य की खोज:
शवासन योग के दौरान, व्यक्ति को अपने आत्मा की गहरी खोज करने का अवसर मिलता है। ध्यान, मन को शांत करने और सत्य की खोज में मदद करने में सहायक होता है।
इस रूप में, शवासन योग एक आध्यात्मिक अनुभव का माध्यम बनता है जो व्यक्ति को आत्मा के साथ संबंधित बनाए रखने में मदद करता है और उसे शांति और सत्य की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
समापन
इस आरंभ से लेकर समापन तक, हमने शवासन योग के महत्व, इतिहास, विधि, लाभ, स्वास्थ्य से संबंध, और आध्यात्मिक पहलुओं पर चर्चा की। यह योग न केवल हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक है, बल्कि हमें आत्मा के साथ मिलने और आध्यात्मिक समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करता है।
शवासन योग को नियमित रूप से अपनी जीवनशैली में शामिल करने से हम अपने दिनचर्या में सामंजस्य, स्थिरता, और सकारात्मकता ला सकते हैं। यह योग हमें अपने आत्मा के साथ संबंध स्थापित करके हमें जीवन की सही दिशा में आगे बढ़ने का साहस देता है।
आशा है कि यह चर्चा आपको शवासन योग के महत्वपूर्ण आंशों की समझ प्रदान करेगी और आप इसे अपने जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित होंगे। स्वस्थ रहें, शांति पाएं, और आत्मा के साथ संबंध को स्थापित करने का आनंद लें।
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