योग एक अभ्यास है जो हजारों वर्षों से चला आ रहा है और हाल के वर्षों में तेजी से लोकप्रिय हुआ है क्योंकि अधिक लोग अपने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार करना चाहते हैं। योग की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी और यह एक आध्यात्मिक और शारीरिक अभ्यास है|
योग एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित रखने के लिए किया जाता है। यह एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है जो स्वास्थ्य, शांति, और आनंद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। योग में ध्यान, आसन, प्राणायाम, मंत्र जप, और भक्ति के अभ्यास शामिल होते हैं। इन अभ्यासों के माध्यम से, योग करने वाले व्यक्ति अपने शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करते हुए स्वयं को अधिक समर्थ बनाते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि का अनुभव करते हैं।
योग का अर्थ, परिभाषा – Meaning of Yoga In Hindi
“योग” शब्द संस्कृत भाषा की युज् धातु से बना है , जिसका अर्थ होता है जोड़ना – आत्मा को परमात्मा से या आत्म शक्ति को परमात्मा शक्ति से जोड़ना योग कहलाता है।
भारतीय योग का महत्त्व | Importance Of Yoga in Hindi
बड़े दुःख की बात है की आज जब भी ये सवाल आता की योग क्या होता है तो ज्यादातर लोग यही सोचते है की योग स्वस्थ रहने के लिए होता है या फिर बीमारियों का इलाज करने के लिए योग की उत्पत्ति हुई होगी।
परन्तु बास्तविकता इस से अलग है, ऐसा नहीं है की योग से स्वस्थ नहीं रहा जा सकता या बीमारियों का इलाज़ नहीं किया जा सकता?
बेशक योग से बीमारियों का इलाज़ किया जा सकता है और स्वस्थ भी रहा जा सकता है पर योग का परम लक्ष्य अलग है। What is the Yoga in Hindi
History of Yoga Hindi | योग का इतिहास
योग एक अनुष्ठान होने के साथ-साथ एक दर्शन भी है। इसलिए, योग का इतिहास अनेक संस्कृति, धर्म और विचारधाराओं से जुड़ा हुआ है। विभिन्न धर्मों और दर्शनों में योग के विभिन्न प्रकार विकसित हुए हैं।
योग का उल्लेख वेदों में भी मिलता है। ऋग्वेद में योग शब्द का प्रयोग देवताओं के साथ अन्तरात्मा के लिए उपासना के रूप में हुआ है। अन्य वेदों में भी योग के उल्लेख मिलते हैं। उदाहरण के लिए, अथर्ववेद में योग के उपदेशों का वर्णन है।
योग का अध्ययन और विकास गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से हुआ। आधुनिक युग में योग के बहुत से गुरु और आचार्य थे, जिन्होंने योग को अपने शिष्यों को सिखाया और प्रचारित किया।
वैदिक काल में योग का विकास शुरू हुआ, जब ऋषियों ने ध्यान और तपस्या के माध्यम से उन्नति के लिए जीवन का एक नियम तैयार किया। इसके बाद उन्होंने विभिन्न प्रकार के योग के बारे में समझाना शुरू किया
युगों के साथ योग के विभिन्न प्रकार विकसित हुए। उपनिषदों में भी योग के प्रकारों का वर्णन है। प्राचीन भारत में महर्षि पतंजलि को योग दर्शन का संस्थापक माना जाता है। पतंजलि ने ‘योग सूत्र’ की रचना की जो योग दर्शन के सर्वोच्च ग्रन्थ माना जाता है।
योग के बाद बौद्ध धर्म भी योग को स्वीकार करने लगा। ध्यान के माध्यम से जीवन के दुखों से निजात पाने के लिए बौद्ध धर्म के अनुयायी ने ध्यान अभ्यास को ज्यादा महत्व दिया।
जैन धर्म में भी योग का महत्व है। जैन धर्म में योग ध्यान और तप के रूप में विकसित हुआ।
योग का दुनिया भर में अपना महत्व बनाया हुआ है। योग के विभिन्न प्रकार और उनके अध्यात्मिक लाभों के बारे में अधिक जानने के लिए लोग योग के अध्ययन और अभ्यास में लगे रहते हैं।
पतंजलि के योग सूत्रों को योग का सर्वोच्च ग्रन्थ माना जाता है। पतंजलि ने अपने योग सूत्रों में योग के अष्टांगों का वर्णन किया है जो इस प्रकार हैं: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इन अष्टांगों के माध्यम से योगी अपनी मनोदशा को नियंत्रित कर सकता है और अपने अंतरंग शक्तियों को जागृत कर सकता है।
अन्य योग प्रकारों में भी उपदेश दिए गए हैं। हठ योग नाम के योग का वर्णन हत्थ योग प्रदर्शनी में किया गया है। इस योग के उपदेश द्वारा शरीर और मन को समझा जाता है और शरीर और मन को एक साथ लाने के लिए उपयोगी अभ्यास किए जाते हैं।
YOGA in Hindi | योग क्या होता है ?
योग YOGA का परम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करना होता है, आत्म-ज्ञान प्राप्त करना होता है, परमानन्द को प्राप्त करना ही योग का एकमात्र लक्ष्य है।
ये बात अलग है की आत्मा-ज्ञान प्राप्त करने का रास्ता स्वस्थ तन, स्वस्थ मन और स्वस्थ आत्मा से होता हुआ निकलता है। जब हम मोक्ष के लिए योग YOGA करते है तो योग की क्रियाये हमारे भौतिक शरीर को स्वतः ही स्वस्थ कर देती है, जिसे हम योग समझ लेते है।
योग में शारीरिक मुद्रा या आसन, श्वास तकनीक और ध्यान की एक श्रृंखला शामिल है। शारीरिक आसन या आसन शक्ति, लचीलापन, संतुलन और सहनशक्ति में सुधार करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जबकि साँस लेने की तकनीक और ध्यान मन को शांत करने और तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
योग की कई अलग-अलग शैलियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अनूठा फोकस और दृष्टिकोण है। कुछ सबसे लोकप्रिय शैलियों में हठ, अष्टांग और कुंडलिनी शामिल हैं। हठ योग पश्चिम में योग की सबसे अधिक प्रचलित शैली है और योग का एक कोमल रूप है जो खींचने और सांस लेने पर केंद्रित है।
योग की शैली चाहे जो भी हो, योगाभ्यास के लाभ असंख्य हैं। योग लचीलेपन, शक्ति, संतुलन और धीरज में सुधार करने में मदद कर सकता है, जो चोट के जोखिम को कम कर सकता है और समग्र शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। योग को तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने और समग्र मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करने में भी प्रभावी दिखाया गया है।
योग के शारीरिक और मानसिक लाभों के अलावा, अभ्यास के आध्यात्मिक लाभ भी हैं। योग हमारे आसपास की दुनिया के लिए आत्म-जागरूकता और संबंध की गहरी भावना पैदा करने में मदद कर सकता है। योग के अभ्यास के माध्यम से, हम वर्तमान क्षण में जीना सीख सकते हैं, आसक्तियों को छोड़ सकते हैं और कृतज्ञता और करुणा की गहरी भावना विकसित कर सकते हैं।
Types of Yoga in Hindi | क्या है योग के प्रकार
योग के प्रमुख चार प्रकार है
- राजयोग
- हठयोग
- कर्मयोग
- ज्ञानयोग
राजयोग | Raja Yoga In HINDI
मनुष्य शरीर में ज्ञान और शक्ति का अनंत भंडार होता है जो की हमें जन्म से ही मिल जाता है परन्तु सुप्त अवस्था में होता है, या निष्क्रिय होता है।
राज योग RAJA YOGA के द्वारा इसे जगाया जा सकता है , जैसा की हम सभी जानते है की इंसान का मन बहुत चंचल होता है किसी एक वस्तु पर नहीं ठहरता, हर वक्त बस स्वतन्त्र एक जहग से दूसरी जगह तक घूमता रहता है उस अनियंत्रित मन को नियंत्रित करने कि विधिपूर्वक क्रिया को राज योग कहते है
भक्तियोग | Bhakti Yoga In HINDI
भक्ति योग एक धार्मिक योग है जो हमें परमात्मा के साथ भक्ति एवं प्रेम भाव के माध्यम से जोड़ने के लिए उत्तेजित करता है। भक्ति योग एक ऐसा योग है जो सभी जातियों, वर्गों और धर्मों के लोगों को संभवतः सबसे आसान तरीके से भगवान के साथ एकता प्राप्त करने का एक मार्ग प्रदान करता है।
भक्ति योग के अंतर्गत, भक्त अपनी उन्नति के लिए आत्मार्पण करता है और भगवान के समक्ष पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास का अभ्यास करता है। भक्ति योग के अनुयायी उन लोगों को कहते हैं जो पूर्णतः भगवान के प्रेम में अपना मन और आत्मा समर्पित करते हैं।
भक्ति योग के द्वारा, हम भगवान को प्रेम करते हुए उससे जुड़ते हैं। हम अपनी आत्मा को उसके साथ जोड़ते हैं और उसके प्रति अपनी समर्पण भावना को व्यक्त करते हुए समानता एवं प्रेम की भावना को अनुभव करते हैं।
भक्ति योग अधिकतर वेदों, पुराणों एवं उपनिषदों में उल्लेखित होता है। यह योग हम के माध्यम से परमात्मा के साथ संबंध बनाने का एक सरल एवं सहज तरीका होता है। इसके अंतर्गत, भक्त अपने मन और आत्मा को भगवान के साथ जोड़ने के लिए अपने चरित्र एवं आचरण में परिवर्तन करता है। भक्ति योग के अनुयायी अपनी साधना के दौरान अपने मन को शुद्ध करने के लिए ध्यान एवं धर्म के माध्यम से अपने मन को नियंत्रित करते हैं।
भक्ति योग के अनुयायी उसके माध्यम से अपने मन एवं आत्मा को उस शक्ति से जोड़ते हैं जो समस्त जीवों की उत्पत्ति एवं उनके अस्तित्व के पीछे है। इस योग के अनुयायी अपने मन को उस शक्ति के निरंतर ध्यान में लगाते हुए अपनी आत्मा को भगवान के साथ जोड़ते हैं।
भक्ति योग अपने साधकों को उस शक्ति से जोड़ता है जो समस्त जीवों को उनके संघर्षों से मुक्त करती है। भक्ति योग के अनुयायी अपने मन एवं आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ते हुए आत्मिक आनंद को अनुभव करते हैं जो उन्हें दुःख से मुक्ति एवं शांति प्रदान करता है। इसके अलावा, भक्ति योग के अनुयायी अपने चरित्र एवं आचरण में परिवर्तन करते हैं जो उन्हें उनकी आध्यात्मिक उन्नति के लिए उत्तेजित करता है।
भक्ति योग के अनुयायी अपने श्रद्धा एवं भक्ति के माध्यम से अपने मन को बाहरी प्रकृति के उत्साह से मुक्त करते हैं। वे अपने मन को भगवान की ओर उन्मुख करते हुए उस आनंद को अनुभव करते हैं जो उन्हें सदैव सुखी एवं संतुष्ट रखता है।
भक्ति योग के अनुयायी अपने मन को अपनी आत्मा एवं परमात्मा के साथ जोड़ने के लिए विभिन्न धर्मों एवं मन्दिरों में जाकर पूजा एवं ध्यान करते हैं। इसके अलावा, वे अपने दैनिक जीवन में भगवान के साथ नित्य संवाद में रहते हैं जो उन्हें सदैव आत्मिक शांति एवं सुख प्रदान करता है।
कर्मयोग | Karma Yoga In HINDI
श्रीमद्भगवतगीता ये श्लोक “कर्म करते चलो फल की चिंता मत करो” तो सभी ने सुना होगा। जब मनुष्य फल की लालसा किये बिना ईमानदारी से कर्म करता है तो वह कर्मफल ईश्वर को अर्पित हो जाता है।
उदहारण के तौर पर मान लो “कोई बिल्ली किसी जगह फस जाए और कोई व्यक्ति उस बिल्ली को निकलने का प्रयास करे बदले में वह बिल्ली उस व्यक्ति को काटने का प्रयास करे और वह व्यक्ति कर्मफल के डर से उसे निकले का प्रयत्न ही न करे तो यह कर्म कर्मयोग के विरुद्ध माना जायेगा , बदले में कर्मफल का त्याग करके सावधानी पूर्वक वह व्यक्ति उस बिल्ली को बचाने का प्रयास करे तो वह कर्मयोग कहलायेगा।” निस्वार्थ भाव से किया गया कर्म कर्मयोग KARMA YOGA कहलाता है।
कर्म योग हिंदू धर्म के चार योगों में से एक है, जो काम करने का एक विशेष तरीका है। यह योग एक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और उनसे पैदा होने वाले परिणामों से समझौता करने की कला है। इस योग का उद्देश्य है कि व्यक्ति कर्म करते समय अपने मन को स्थिर और शांत रखें, ताकि वह अपने कर्मों में व्यवस्थित और सटीक हो सके।
कर्म योग का मूल मंत्र है “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।” इसका अर्थ है कि व्यक्ति को कर्म करने का अधिकार होता है, लेकिन उसे कर्म के फलों पर कभी भी अधिकार नहीं होता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति कर्म के लिए सबकुछ कर सकता है, लेकिन उसे उसके परिणामों का अधिकार नहीं होता है।
कर्म योग के अनुयायी काम करते समय एक आसक्ति के बिना कर्म करते हैं। उन्हें अपने कर्मों में लगाव नहीं होता है और वे निष्काम कर्म का अनुभव करते हैं। उनके लिए, वह काम केवल एक माध्यम होता है जो उन्हें अपनी आत्मा को पूर्णतः विकसित त करने में मदद करता है। वे उस कर्म को देवताओं के लिए अर्पण करते हैं और उससे जुड़े फलों से वे समझौता करते हैं। इस प्रकार, कर्म योग उन लोगों के लिए उपयोगी है जो अपने कर्मों में निष्कामता और समर्पण का अनुभव करना चाहते हैं।
कर्म योग के अनुयायी का मानना होता है कि कर्म भाग्य को बदल सकता है। यदि व्यक्ति निष्काम भाव से कर्म करता है तो उसके कर्म उसके भाग्य को बदल सकते हैं। इस तरह के कर्म उनके भविष्य को सुधार सकते हैं।
कर्म योग एक अधिक मुक्त जीवन जीने का तरीका भी है। इस योग के अनुयायी अपने कर्मों के फलों का आसक्तिहीन होते हैं और उनके मन में स्थिरता बनी रहती है। वे स्वयं के साथ और दूसरों के साथ अधिक समझदार और समझोते हुए होते हैं। इस योग के अनुयायी उनके भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं और उनके मन को शांत रखने में सक्षम होते हैं।
ज्ञानयोग | Gyana Yoga In HINDI
आज अगर किसी से सवाल किया जाए की आप कौन हो? तो जवाब मिलेगा की मैं शरीर हु, फिर पूछा जाए शरीर कहा से आया तो पता चलेगा शरीर माँ के पेट से आया, फिर माँ के पेट में कहा से आया और ज्यादा ज्ञान के हिसाब से पता चलेगा की शरीर उन सभी तत्वों से मिलकर बना है जो इस धरती पर मौजूद है और समय के साथ जटिल केमिकल रिएक्शन (Complex biochemical Reaction) से जीवन की उत्तपत्ति हुई , फिर सवाल आता है की धरती कहा से आई तो जवाब मिलेगा की सुपरनोवा (Supernova) से आई फिर सवाल आएगा की सुपर नोवा कहा से आया तो जवाब मिलेगा की सुपरनोवा(Supernova) बिग बैंग (Big Bang) से आया पर आधुनिक विज्ञान के पास इसका जवाब नहीं है की बिग बैंग कहा से आया ?
( यहाँ सिर्फ उदाहरण हेतु ज्ञान योग और आधुनिक विज्ञान को मिलकर प्रस्तुत किया गया है)
यहाँ से ज्ञान योग की अहम् भूमिका सामने आती है, ज्ञान योग से हमें पता चलता है की जीवन की शुरुआत ब्रम्ह से होती है और इसका अंत भी ब्रम्ह ही है |
ज्ञान द्वारा स्वं का ज्ञान हो जाना या आत्मज्ञान हो जाना या मैं ही ब्रम्ह हु या मैं ही ईश्वर हु या मैं ही कण-कण में व्याप्त हु ज्ञान योग GYANA YOGA कहलाता है।
सुबह करने वाले 5 योग | 5 Yoga Asanas For Morning
- सूर्यनमस्कार
- शीर्षासन
- अनुलोम विलोम
- भ्रामरी प्राणायाम
- कपालभाति
Conclusion
कुल मिलाकर, योग एक शक्तिशाली अभ्यास है जो हमारे जीवन के हर पहलू पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। चाहे आप अपने शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करना चाहते हैं, तनाव और चिंता को कम करना चाहते हैं, या अपनी आध्यात्मिक साधना को गहरा करना चाहते हैं, योग आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपकी मदद करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है। यदि आप योग के लिए नए हैं, तो शुरुआती कक्षा से शुरू करने या अभ्यास के माध्यम से मार्गदर्शन करने के लिए योग्य प्रशिक्षक खोजने पर विचार करें। नियमित अभ्यास से, आप पा सकते हैं कि योग आपकी दिनचर्या का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है, जिससे आपको एक स्वस्थ, अधिक संतुलित और अधिक आनंदमय जीवन जीने में मदद मिलती है।
योग क्या है और इसके प्रकार?
“योग” शब्द संस्कृत भाषा की युज् धातु से बना है , जिसका अर्थ होता है जोड़ना – आत्मा को परमात्मा से जोड़ना योग कहलाता है।
योग के प्रमुख चार प्रकार है राजयोग, हठयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग |
योग का पिता कौन है?
योग के पिता आदि-अनादि भगवान शिव है। ओर योग दर्शन का व्याख्यान महर्षि पतंजलि ने किया।
योग के कितने आसन होते हैं?
योग मे 84 आसन मुख्य है । परंतु एक योगी के लिये शरीर की हर अवस्था एक आसन है।
योग कब नहीं करना चाहिए?
योग को बिना गुरु के मार्गदर्शन के नही करना ।
खाना खाने के ४-६ घंटे बाद तक योग नही करना चाहिये।
बहुत से योग रात के समय नही करना चाहिये। जैसे शीर्षासन, सुर्य-नमस्कार, सर्वांगासन आदि.
योग योग दिवस कब मनाया जाता है?
हर साल 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप मे मनाया जाता है। आने वाला International Yoga Day 21 जून 2024 विश्व का 10वा योग दिवस होगा |
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