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आज की दौड़ती जिंदगी में स्वास्थ्य और तन-मन से जुड़े अनगिनत चुनौतियों का सामना करना हो रहा है। इसमें से एक महत्वपूर्ण पहलु है शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखना। इसी में मदद करने के लिए जालंधर बंध प्राणायाम एक अद्वितीय अभ्यास है, जो हमें शांति और स्वस्थ जीवन की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने में मदद कर सकता है। इस लेख में, हम जालंधर बंध प्राणायाम के लाभ, विधि, और इसके अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे, ताकि आप इसे अपने दिनचर्या में शामिल करके अपने स्वास्थ्य को सुधार सकें।

Jalandhar Bandh
Jalandhar Bandh जालंधर बंध

जालंधर बंध का मतलब – JALANDHAR BANDHA MEANING

बंध का मतलब होता है बांधना, सांसो को रोक कर अन्तर्मुखी कर लेना बन्ध कहलाता है । प्राणायाम मे बहुउपयोगी जालंधर बंध को अगर प्राणायाम के साथ किया जाये तो ये प्राणायाम के फायदो को दौगुना कर देता है। या यु भी कहा जा सकता है कि के बिना प्राणायाम अधुरा ही रहता है । तो आइये जानते है जालंधर बंध के बारे मे ओर देखते है जालन्धर बंध के फायदे ओर मे किये जाने वाली सावधानीया के बारे मे।

जालंधर बंध क्या होता है । What is the Jalandhar Bandh in Hindi

जो बंध लगाने से कण्ठस्थान ( गले का भाग ) को बांधा जाये या कण्ठस्थान के नाड़ी-जाल को बांधने वाला बंध जालंधर बंध (jalandhar bandh) कहलाता है। जालंधर बंध अभ्यास है प्राणायाम का ।

उपर हमने समझा के जालंधर बंध क्या होता है, आइये अब हम देखते है कि जलंधर बंध कैसे करते है ।

जालंधर बंध कैसे करते है । Jalandhar Bandh kaise karte hai

हमने उपर पढा की गले की नाड़ी-जाल को बांधा जाये तो जालंधर बंध होता है, उसी तरह हमे इसका अभ्यास करना है। अब समझते है jalandhar bandh कैसे लगाते है ।

  • जालंधर बंध करने के लिये सबसे पहले पद्मासन या सिद्धासन मे बैठ जाये ओर पुरे फेफडों मे सांस भर ले ।
  • रीढ़ बिलकुल सीधी रहेगी पर शरीर को ढीला रखना है।
  • दोनो हाथों को सहज अपने घुटनो पर रखना है।
  • अब ठोडी को आगे झुकाते हुये इतना झुकाये की ठोडी झुकती हुई छाती को छू जाये, सांस अभी भी अंदर भरी रहेगी।
  • सांसो को सहज जितना संभव हो रोके रहे ओर इसी अवस्था मे रहे ।
  • दृष्टि को नीचे भूमि पर टिकाना है।
  • छाती सीधी तनी रहेगी।
  • अब सांसो को धीरे-धीरे छोड़ते हुये वापस सामान्य अवस्था मे आ जाये।
  • २०-३० सेकेंड रुकने के बाद फिर से इसे दोहरायें ओर ३-१० बार अपनी शक्ति अनुसार करे।

जालंधर बंध के लाभ । Jalandhar Bandh Ke Laabh

jalandhar bandh से होने वाले लाभ इस प्रकार है ।

  • थायरॉइड मे बहुत लाभकारी है ।
  • थायरॉइड मे लाभ होने से मोटापे मे भी जालंधर बंध लाभकारी है ।
  • गले के ज्यादातर रोगों मे लाभकारी है
  • रीढ की हड्डी को मजबूत बनाने मे ये क्रिया बहुत उपयोगी होती है।
  • टांसिल जैसे रोगों के लिये रामबाण योग क्रिया है।
  • कंठ (गले) के सिकुड़न द्वारा दोनो नाड़ीया बंद होने से प्राण का सुषुम्ना नाड़ी मे प्रवेश होता है जिस से चमत्कारीक शारीरिक लाभ के साथ आध्यात्मिक लाभ भी साधक को होता है।
  • गर्दन के आस-पास जब इस क्रिया से नाड़ीयो का खिंचाव ओर सिकुड़न होता है तब रक्त संचार मे स्वस्थ होता है।
  • जालंधर बंध करने से रक्त संचार मे सुधार होने से मस्तिष्क से जुडे रोग ठीक होते है 
  • विशुध्दि चक्र को जागरण हेतु बहुत फ़ायदेमंद है
  • गला मधुर होता है, सुरीला होता है, और आकर्षक होता है, गायकों Singers के लिये जालंधर बंध बहुत उपयोगी योग क्रिया है।

जालन्धर बंध मे जरूरी सावधानिया । Precautions of Jalandhar Bandha

Jalandhar Bandh
  • प्राणायाम मे सम्पूर्ण अभ्यास होने के बाद ही जालंधर बंध का अभ्यास शुरु करे ।
  • गर्दन मे घाव या कोई चोट हो तो जालंधर बंध नही करना चाहिये ।
  • मस्तिष्क मे पुरानी चोट या मस्तिष्क सम्बंधि रोग हो तो ये बंध नही करना चाहिये
  • सांस सम्बंधि रोग मे जालंधर बंध का अभ्यास वर्जित है ।
  • जालंधर बंध लगाते समय अगर कमर दर्द हो तो इस बंध को ना करे।
  • शुरुआत कुछ दिनो तक विशेषज्ञ की रेख-देख मे अभ्यास करे ।
  • जालंधर बंध लगते समय ज़बरदस्ती ना करे।
  • किसी भी तरह का योग आसन, प्राणायाम ओर मुद्राये हमेशा खाली पेट करना चहिये, सिर्फ बज्रासन को खाने के बाद कर सकते है।

समाप्ति – जालंधर बंध

आपको ध्यानपूर्वक जालंधर बंध का अभ्यास करने से यह अनुभव होगा कि यह एक शानदार प्राणायाम तकनीक है जो शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद कर सकती है। jalandhar bandh का नियमित अभ्यास करने से हम अपनी दिनचर्या में सुधार कर सकते हैं और जीवन को एक नए पहलु में देख सकते हैं।

इस प्राचीन योग प्रणायाम तकनीक ने हमें अपने श्वास को नियंत्रित करने, मन को स्थिर करने, और अपनी आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम प्रदान किया है। यह आत्मा के साथ जुड़े हुए एक साकार अनुभव को साधने का एक माध्यम भी हो सकता है, जो हमें जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने की क्षमता प्रदान करता है।

इस साहसिक यात्रा में Jalandhar Bandh का सही तरीके से अभ्यास करने का अभ्यास करते हुए, हम अपने जीवन को सुखद, संतुलित, और स्वस्थ बना सकते हैं। इसलिए, इस अनमोल योग प्रद्यूम्न का आनंद लें और जीवन को एक नए ऊचाईयों तक पहुंचाने के लिए इसे अपनाएं।”

और पढे- भस्त्रिका प्राणायाम: स्वास्थ्य और शांति का स्रोत

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